संस्था कि स्थापना तब हुआ जब 1973 में त्रिवांद्रम के शाही परिवार ने बहुमज़िल मकान को तौफे के रुम में लोगों एवं केरल सरकार को दिया था। 1976 में जब श्री पी एन हकसर, उस समय का उप अध्यक्ष, योजना आयोग ने श्री चित्रा चिकित्सा केन्द्र का उद्घाटन किया, तब इनपेशण्ड चिकित्सा सहित मरीज सेवाओं का काम प्रकिया में था । बाद में फिर शाही परिवार द्वारा उपहार में दी गयी सेटिलमॉण्ड पॉलस, पूजप्पुरा (असपताल स्कंध से 11 की.मी दुर ) में जैवचिकित्सकीय प्रौद्योगिकी स्कंध की स्थापना हुई ।
भारत सरकार ने चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को एक संस्थायिक सीमा के अन्तर सम्मेलित करने की संकल्प को महत्वपूर्ण माना और 1980 के संसद के अधिनियम द्वारा संस्था को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के तहत राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित किया और संस्था का नामांकन श्री चित्रा तिरुनाल आयुर्विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, त्रिवान्द्रम के रुप में किया।
1992 जून 15 को डॉ. मनमोहन सिंग, उस समय के माननीय वित्त मंत्री, भारत सरकार ने संस्था के तीसरी स्कंध अच्चुत मेनोन स्वास्थ्य विज्ञान अध्ययन केन्द्र (एएमसीएचएसएस) की शिलान्यास किया । 2000 जनवरी 30 को डॉ. मुरली मनोहर जोषी, उस समय के माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन विकास मंत्री, भारत सरकार ने एएमसीएचएस को देश के लिए समर्पित किया ।